Saturday, January 22, 2022

कविता - आजादी





                      कविता   - आजादी

जो बात करे आजादी की, जाकर उनको बतलाओ तुम
ये राष्ट्र लहू कि धारों पर ,तैर यहाँ तक आया है।।


कितनों ने अपना तन राख किया, कितने फांसी पर झूल गए।
कितनों ने जीवन संघर्ष दिया,  कई जीवन जीना भूल गए।।
अनगिनत चिरागों के जलने पर,रोशन राष्ट्र हो पाया है 
जो बात करे आजादी की,जाकर उनको बतलाओ तुम
ये राष्ट्र लहू की धारों पर, तैर यहाँ तक आया है।।


माताओं ने दिए थे अपने, कोमल ह्दय के टुकड़ो को।
कुछ जीवन भर देख ना सके,अपने लालो के मुखड़ो को।।
प्राण दान से ही वीरों के,स्वतंत्र राष्ट्र हो पाया है
जो बात करे आजादी की, जाकर उनको बतलाओ तुम
ये राष्ट्र लहू की धारों पर,तैर यहाँ तक आया है।।


काट कर अपनी बाह सौप दी,माँ गंगा के पावन जल को
लहू से अपने सींच दिया, बिलखती बंजर इस थल को।
अथक परिश्रम से वीरों के राष्ट्र  चैन से सो पाया है।
जो बात करे आजादी की,जाकर उनको बतलाओ तुम
ये राष्ट्र लहू की धारों पर, तैर यहाँ तक आया है।।





जो बात करे आजादी की,  जाकर उनको बतलाओ तुम 
ये राष्ट्र लहू की धारो पर, तैर यहाँ तक आया है।।

                                     पंक्तिया जारी रहेंगी......
                               🖋️ लेखक - विकास पटेल 


यह कविता समर्पित है देश के उन वीर शहीदों को और  क्रांतिकारियों को जिन्होंने इस राष्ट्र के लिए अपना तन, मन, धन सब समर्पित कर दिया। जिन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के सामने कभी अपना और राष्ट्र का सिर निचे ना होने दिया। इनके नामो की सूची इतनी लम्बी है की हम पढ़ भी ना पाए। ये उन सैनिको को भी समर्पित है जिन्होंने आजादी के बाद से आज तक इस राष्ट्र की रक्षा की है। आप लोगो का कद बहुत ऊंचा है हम शायद ही वहा तक पहुंच सके। 🙏🙏💐💐💐❤️❤️

पूज्यनीय महानायक वीर नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी की जयंती पर आप सभी के समक्ष प्रस्तुत है कविता आजादी।






* पाठकों से अनुरोध -
कविता में किसी भी प्रकार कि त्रुटि हो तो जरूर बताये।

आप सभी के प्यार और साथ के लिए बहुत बहुत आभार 🙏🙏

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धन्यवाद 







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